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Showing posts from October, 2018

लौंग चबाना क़ब्ज़, गैस, गठिया, साइटिका, कमरदर्द जैसे 12 रोगों में फ़ायदेमंद है

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आज हम आपको  All Ayurvedic  के माध्यम से बताएँगे लौंग सेवन से 12 अद्भुत फायदों के बारे में, लौंग में यूजेनॉल होता है जो साइनस और दांद दर्द जैसी हेल्थ प्रॉब्लम को ठीक करने में मदद करता है। लौंग की तासीर गर्म होती है। इसलिए सर्दी-जुकाम होने पर लौंग खाएं या इसकी चाय बनाकर पीना फायदेमंद है।  अगर आप लौंग के तेल का इस्तेमाल कर रहे हैं तो इसे नारियल तेल के साथ मिलाकर उपयोग करें ताकि इसकी गर्म तासीर से सेहत को नुकसान न हो। लौंग जीवनी शक्ति के कोशो का पोषण करता है। इसी कारण लौंग टी.बी और बुखार में एंटीबायोटिक का काम करता है। यह रक्तशोधक और कीटाणुनाशक होता है। लौंग में मुंह, आते और आमाशय में रहने वाले सूक्ष्म कीटाणुओं व सड़न को रोकने के गुण पाये जाते है। असली लौंग की पहचान :  दुकानदार बेचने वाले लौंग में तेल निकला हुआ लौंग मिला देते है। अगर लौंग में झुर्रिया पड़ी हो तो समझे कि यह तेल निकाली हुई लौंग है। उसे ना खरीदे। लौंग से बहुत सी प्राकृतिक औषधीयाँ बनती है। आज हम आपको बताएँगे की 1 लौंग कितना कमाल का होता है, आइये जाने लौंग के फायदों के बारे में। लौंग के 12 बेहतर...

पुनर्नवा मतलब शरीर के सभी अंगो को नया बना देना, इसमे होते है 25 गुण

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नमस्कार दोस्तों एकबार  फिर से   आपका   All Ayurvedic  में स्वागत है आज हम आपको ऐसी औषध के बारे में बताएँगे जो शरीर के अँगो को पुनः नया जीवन दे सकती है, जो कैन्सर के मरीज़ों के लिए आयुर्वेद जगत की संजीवनी है जिसका नाम पुनर्नवा है।  पुर्ननवा संस्कृत के दो शब्द पुनः अर्थात ‘फिर’ और नव अर्थात ‘नया’ से बना है। पुर्ननवा औषधि में भी अपने नाम के अनुरूप ही शरीर को पुनः नया कर देने वाले गुण पाए जाता है। इसलिए इसे रोगों से लड़ने से लेकर कैंसर के इलाज तक में उपयोग किया जाता है।  इसकी 1 चम्मच भोजन के साथ अर्थात सब्जी में मिलाकर सेवन करने से बुढापा नही आता अर्थात बूढ़ा व्यक्ति भी जवाँ बना रहता है क्योंकि इससे शरीर के सभी अंग का पुनः नयी कोशिका का निर्माण होता रहता है। " शरीर पुनर्नवं करोति इति पुनर्नवा"  जो अपने रक्तवर्धक एवं रसायन गुणों द्वारा सम्पूर्ण शरीर को अभिनव स्वरूप प्रदान करे, वह है  ‘पुनर्नवा’ । यह हिन्दी में साटी, साँठ, गदहपुरना, विषखपरा, गुजराती में साटोड़ी, मराठी में घेटुली तथा अंग्रेजी में ‘हॉगवीड’ नाम से जानी जाती है। मूँग या चने की दाल मिला...

वजन कम करने का सबसे अच्छा प्राकृतिक उपाय

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जो लोग मोटापे से परेशान हैं और मोटापे को दूर करने के लिए अनेक तरह के प्रयोग और पैसे बर्बाद कर के थक चुके हैं तो हम बता दें के ये प्रयोग मोटापे के लिए काल साबित होगा। आप अपने रिजल्ट हमारे साथ ज़रूर शेयर करें। बिलकुल साधारण सा दिखने वाला ये प्रयोग सिर्फ थोड़े से दिनों में अपना रिजल्ट आपको दिखा जायेगा। और बड़ी बात ये है के ये नुस्खा बिलकुल आसान है। बढ़ते वजन की वजह से अगर आपको भी लगने लगा है कि आपकी पर्सनालिटी खराब हो रही है। इतना ही नहीं अपने मोटापे को छुपाने के लिए अब आपने ढीले-ढाले कपड़े पहनना या अंग्रेजी दवाओं का सहारा लेना भी शुरू कर दिया है तो पहले ये खबर जरूर पढ़ लें। आज के युग में लोग अगर सबसे ज्यादा किसी चीज से परेशान हैं तो वो है वजन का बढ़ना और पेट मे चर्बी का जमा हो जाना। इससे न केवल चलने फिरने में परेशानी होती है बल्कि और भी बहुत सारे बीमारियों का जन्म हो जाता है। इसलिए इस बढ़ते पेट की चर्बी को खत्म करना भी बहुत ही जरूरी है। लोग लाखों रुपये डॉक्टर को दे देते हैं पेट की चर्बी को कम करने के लिए लेकिन फिर भी कोई असर नही होता और साथ मे पैसे भी बर्बाद होते हैं लेकिन लोग कुछ...

हरसिंगार का पत्ता गठिया और साइटिका ठीक करता है, घुटनों की चिकनाई वापिस लाता है

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हारसिंगार के पेड़ बहुत बड़े नहीं होते हैं। इसमें गोल बीज आते हैं। इसके फूल अत्यन्त सुकुमार और बड़े ही सुगन्धित होते हैं। पेड़ को हिलाने से वे नीचे गिर पड़ते हैं। वायु के साथ जब दूर से इन फूलों की सुगन्ध आती है, तब मन बहुत ही प्रसन्न और आनन्दित होता है। इसे संस्कृत में पारिजात कहते है, बंगला में शिउली कहते है , उस पेड़ पर छोटे छोटे सफ़ेद फूल आते है, और फूल की डंडी नारंगी रंग की होती है, और उसमे खुसबू बहुत आती है, रात को फूल खिलते है और सुबह जमीन में गिर जाते है। हारसिंहार ठण्डा और रूखा होता है। मगर कोई-कोई गरम होता है। पारिजात वृक्ष को लेकर गहन अध्ययन कर चुके रूड़की के कुंवर हरिसिंह के अनुसार यूँ तो परिजात वृक्ष की प्रजाति भारत में नहीं पाई जाती, लेकिन भारत में एक मात्र पारिजात वृक्ष आज भी उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद के अंतर्गत रामनगर क्षेत्र के गाँव बोरोलिया में मौजूद है। लगभग 50 फीट तने व 45 फीट उँचाई के इस वृक्ष की अधिकांश शाखाएँ भूमि की ओर मुड़ जाती हैं और धरती को छुते ही सूख जाती हैं। एक साल में सिर्फ़ एक बार जून माह में सफ़ेद व पीले रंग के फूलों से सुसज्जित होने वाला यह वृक्ष न सिर्...